Saturday, June 1, 2019

पॉजिटीव एनर्जी

दीर्घायु, रोग मुक्त तथा स्वस्थ्य जीवन के लिए पौष्टिक एवं सात्विक भोजन अनिवार्य है। यही रोग मुक्त स्वस्थ जीवन एवं दीर्घायु का रहस्य है। आहार के रहस्य के पश्चात मनुष्य के मानसिक तनाव को दूर कर पॉजिटीव एनर्जी ग्रहण करना लंबी उम्र के लिए अत्यंत अनिवार्य है। मानसिक तनाव को दूर करने के लिए निम्न प्रक्रिया अपनाना आवश्यक है। 

* मनुष्य एकांत में आरामदायक स्थिति में एवं शांत भाव से बैठकर धीरे-धीरे साँस ले और महसूस करे कि दिमाग से सभी चिंताएँ दूर हो रही हैं। 

* आरामदायक स्थिति में बैठकर पैरों को आगे की और फैलाएँ तथा पैर के अँगूठों को धीरे-धीरे उठाएँ और उठी हुई स्थिति में उन्हें पकड़ें। इस स्थिति में तब तक रहें जब तक कि पैरों एवं टाँगों के निचले हिस्से में तथा जाँघों में और अंत में पूरे शरीर की मसल्स में तनाव न महसूस होने लगे। यह क्रिया एक से दो मिनट तक करना चाहिए। 

* तनाव के बाद अँगूठों को धीरे-धीरे आरामदायक स्थिति में लाएँ और कल्पना करें कि अब मैं पूर्णतः स्वस्थ हूँ मेरे शरीर में कोई भी दर्द, विकार अथवा थकावट नहीं है। 

* जब पूरा शरीर थकावटरहित हो जाए तो कल्पना करें कि पैरों से लेकर सिर तक अंग प्रत्यंग में नई स्फूर्ति एवं जोश का संचार हो रहा है। इसके साथ ही यह भी महसूस करें कि शक्ति आपके अँगूठों से प्रवेश करके पूरे शरीर में फैलती जा रही है। 

* अपने दिमाग से बुढ़ापे के लक्षणों को धो-डालें और स्वयं को युवा महसूस करें। 

* संपूर्ण थकावट दूर होने पर महसूस करें- मैं निगेटिव स्ट्रेस से पूरी तरह दूर हूँ और मुझमें पॉजिटीव शक्ति पूरी तरह आ चुकी है। 

याद रखिए पॉजिटीव सोच मन मस्तिष्क को शांत कर शरीर में जवानी का संचार करती है। वहीं निगेटिव सोच बुढ़ापे की प्रक्रिया को तेज करती है और जिंदगी को घटाती है।

आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए करें मेडिटेशन

कोई भी काम शुरू करने से पहले आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी होता है। बिना आत्मविश्वास के व्यक्ति कोई भी काम ठीक से नहीं कर सकता है। 
आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए करें मेडिटेशन


जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होती है वो व्यक्ति हमेशा कोई भी काम करने से पहले हिचकिचाता है। जब व्यक्ति किसी काम को ठीक से नहीं कर पाता है तो वो मानसिक रूप से भी कमजोर हो जाता है और उसमें डिप्रेशन भी आ जाता है। डिप्रेशन दूर के लिए कई लोग दवाईयां लेने की सलाह देते हैं लेकिन ये शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक होती है।विश्वास को बढ़ाने के लिए इस तरह करें मेडिटेशन, जानिए फायदे

मेडिटेशन को लगातार करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी



कोई भी काम शुरू करने से पहले आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी होता है। बिना आत्मविश्वास के व्यक्ति कोई भी काम ठीक से नहीं कर सकता है। जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होती है वो व्यक्ति हमेशा कोई भी काम करने से पहले हिचकिचाता है। जब व्यक्ति किसी काम को ठीक से नहीं कर पाता है तो वो मानसिक रूप से भी कमजोर हो जाता है और उसमें डिप्रेशन भी आ जाता है। डिप्रेशन दूर के लिए कई लोग दवाईयां लेने की सलाह देते हैं लेकिन ये शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक होती है। मगर डिप्रेशन को दूर करने के लिए आप मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं।

मेडिटेशन को लगातार करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है वहीं इससे कई तरह के फायदे होते हैं। आज हम आपके लिए लाए हैं मेडिटेशन करने के कुछ तरीके-

मेडिटेशन करने से पहले दिमाग को शांत कर लें। मेडिटेशन करने के लिए घर में या कही बाहर कोई शांत जगह का चयन करें। इससे आपका ध्यान भंग नहीं होता और आप आसानी से ध्यान मेडिटेशन कर सकते हैं।

मेडिटेशन करने के लिए जमीन पर पालथी मारकर बैठ जाएं। ध्यान रहें मेडिटेशन करते समय आपकी रीढ़ की हड्डी बिलकुल सीधी रहे। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने से आपके शरीर में ऊर्जा का बहाव आसानी से होता है।


मेडिटेशन को लगातार करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है।




कोई भी काम शुरू करने से पहले आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी होता है। बिना आत्मविश्वास के व्यक्ति कोई भी काम ठीक से नहीं कर सकता है। जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होती है वो व्यक्ति हमेशा कोई भी काम करने से पहले हिचकिचाता है। जब व्यक्ति किसी काम को ठीक से नहीं कर पाता है तो वो मानसिक रूप से भी कमजोर हो जाता है और उसमें डिप्रेशन भी आ जाता है। डिप्रेशन दूर के लिए कई लोग दवाईयां लेने की सलाह देते हैं लेकिन ये शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक होती है। मगर डिप्रेशन को दूर करने के लिए आप मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं।

मेडिटेशन को लगातार करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है वहीं इससे कई तरह के फायदे होते हैं। आज हम आपके लिए लाए हैं मेडिटेशन करने के कुछ तरीके-

मेडिटेशन करने से पहले दिमाग को शांत कर लें। मेडिटेशन करने के लिए घर में या कही बाहर कोई शांत जगह का चयन करें। इससे आपका ध्यान भंग नहीं होता और आप आसानी से ध्यान मेडिटेशन कर सकते हैं।

मेडिटेशन करने के लिए जमीन पर पालथी मारकर बैठ जाएं। ध्यान रहें मेडिटेशन करते समय आपकी रीढ़ की हड्डी बिलकुल सीधी रहे। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने से आपके शरीर में ऊर्जा का बहाव आसानी से होता है।

ऊँ मंत्र का उच्चारण करें। ऊँ का उच्चारण करने से आपका ध्यान भंग नहीं होता और आपके मन में किसी तरह का कोई दूसरा विचार नहीं आता है।

ऊँ का उच्चारण करने के बाद धीरे-धीरे तीन-चार बार गहरी सांसे लें। सांस लेते समय अपने हाथों को अपने पेट पर रखकर सांस लेने की प्रक्रिया को महसूस करें। लेकिन इस बात का ध्यान रखना न भूलें कि इस समय आपके कंधे बिलकुल रिलैक्स रहें।

यह रोजाना करें। ऐसा रोज दिन में 5 से 10 मिनट तक करने से बहुत लाभ होते हैं।

मेडिटेशन के फायदे- मेडिटेशन को रोजाना करने से मन को शांति मिलती है तो वहीं दिमाग भी शांत रहता है। मेडिटेशन से मन में विचारों का टकराव नहीं होता। लगातार मेडिटेशन करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति के अंदर विषम परिस्थितियों को शांत करने की क्षमता बढ़ती है।

नकारात्मक सोच से छुटकारा कैसे पाये

नकारात्मक सोच से छुटकारा कैसे पाए? नकारात्मक सोच से कैसे बचें? नकारात्मक विचारों से दूर कैसे रहें? Negative Thinking को दूर कैसे करें? बुरी सोच से छुटकारा पाने का उपाय? नकारात्मक सोच से छुटकारा पाने के उपाय? इस पोस्ट में मैं आपको कुछ ऐसी बातें बता रहा हूँ जो आपको नकारात्मक सोच से दूर रखेंगी।

इन बातों को फॉलो करके आप नकारात्मक सोच से मुक्ति पा सकते है अपने बुरे वक्त में भी खुश रहे सकते है तो आईये जानते हैं उन अच्छी बातों को जो आपको negative सोच से बचा सकती हैं।

नकारात्मक विचार क्यों आते है? नेगेटिव सोच अत्यधिक चिंता, थकान और तनाव की वजह से आते है कभी – कभी negative thoughts की वजह हम खुद भी होते हैं लेकिन कुछ बातें ऐसी है जो आपको नकारात्मक सोच से दूर रख सकती हैं।

नकारात्मक सोच से छुटकारा पाने के आसान उपाय

आईये जानते है ऐसी कुछ बातें जो आपको नकारात्मक सोच से दूर रख सकती हैं!

1. नकारात्मक विचारों पर विश्वास करना सफलता की सबसे बड़ी रूकावट हैं।

2. नकारात्मक पर ज्यादा ध्यान न दें और अपने जीवन में सकारात्मक पर ध्यान केंद्रित करें।

3. नकारात्मक विचारों का कारण बनने से बचें।

4. सही रवैया अपनाने से नकारात्मक तनाव को सकारात्मक रुप में बदल सकते हैं।

5. आत्मविश्वास बनाए रखें, आत्मविश्वास की कमी ना आने दें क्योंकि ज्यादातर लोग आत्मविश्वास की कमी से नकारात्मक सोच के शिकार बनते हैं।

6. अपने अतीत के बारे में मत सोचों क्योंकि अतीत की गलतियों या भविष्य बनाने की चिंता ही नेगेटिव थिंकिंग का मुख्य स्रोत हैं।

7. नकारात्मक वातावरण में ना रहें, नेगेटिव थॉट्स वाले लोगों से दूर रहें।

8. हमेशा कुछ ना कुछ करते रहें अपने आप को व्यस्त रखें, कुछ काम नहीं है तो पॉजिटिव गाने सुनें या किताब पढ़ें।

9. ऐसे लोगों के साथ रहें जो खुश रहते है. हमेशा खुश रहने और हँसते रहने की कोशिश करें।

10. अगर कोई आपकी गलतियों पर हँस रहा है तो खुद को गलत मत समझो बल्कि सोचो की जिस – जिस पर जमाना हँसा है उसी ने इतिहास रचा हैं

अगर आप नकारात्मक सोच से बचना चाहते है तो ऊपर बताई 10 बातों को हमेशा ध्यान रखें मुझे उम्मीद है आप इन सकारात्मक बातों को फॉलो करके नेगेटिव सोच से छुटकारा पाये 


नकारात्मक सोच से छुटकारा पाने के लिए स्वामी विवेकानंद की कहानी

एक बार स्वामी विवेकानंद जी कही जा रहे थे कही ब्रिज से जा रहे थे बहुत छोटा ब्रिज था उस ब्रिज के एक तरफ गहरा पानी होता है स्वामी जी के पीछे वहां कुछ बंदर लग जाते है बहुत सारे बंदर उसके पीछे पड़ जाते है और स्वामी जी को परेशान करते है स्वामी जी अपने आप को बचाने के लिए उन बंदरों से दूर भागने की कोशिश करते है।

तभी सामने से एक आदमी आता है और स्वामी विवेकानंद से बोलता है की आप इन बंदरों से डरों मत, आप जितना डरोगे ये बंदर आपको उतना ही डरायेंगे इनका सामना करोगे तो ये बंदर भाग जायेंगे।

इनका सामना करो इनसे डरो मत तो स्वामी जी उन बंदरों का सामना करने के लिए उनकी तरफ देखते है और उनकी आंखों से आंख मिलाकर चिल्लाते है और वो बंदर भाग जाते हैं।

हमारी जिंदगी में ये नेगेटिव थॉट्स भी इन बंदरों की तरह ही है आप जितना इन बंदरों से डरोगे ये आपको डरायेंगे और आपके पीछे – पीछे आते रहेंगे लेकिन जब रुककर पीछे मुड़कर इनका सामना करोगे यानि जो negative thoughts आ रहे है उनका सामना करोगे की आने दो जितने भी नकारात्मक विचार आ रहे है।

100 नेगेटिव थॉट्स आ रहे है आने दो ये हो जाएगा वो हो जाएगा से मैं नहीं डरने वाला क्योंकि मैंने एक पॉजिटिव thought पकड़ रखा है जो बहुत ज्यादा पावरफुल है मैं अपनी लाइफ में जो करना चाहता हूँ वो जो मेरा सकारात्मक विचार है वो उन हजार नेगेटिव विचारों से बहुत बड़ा हैं।

मतलब आपको नकारात्मक सोच से डरना नहीं चाहिए, अगर आप डरेंगे तो ये आप पर और ज्यादा हावी हो जाएगी. यदि आप इससे बचना चाहते है तो नेगेटिव थिंकिंग का ऐसे सामना कीजिए जैसे स्वामी विवेकानंद जी ने बंदरों का सामना किया था।

अगर आप स्वामी विवेकानंद की इस छोटी सी कहानी को और इस पोस्ट में बताई गई बातों को ध्यान में रखोगे तो आप नकारात्मक सोच से बच सकते है और हमेशा खुश रह सकते हैं।

मेडिटेशन के प्रकार, जानिए कौनसी है बेहतर है आपके ल‍िए

ध्‍यान के ज़रिए इंसान अपने दिमाग को किसी विशेष वस्‍तु पर केंद्रित करके मानसिक और भावनात्‍मक शांति प्राप्‍त करता है। प्राचीन समय से ही दुनियाभर के लोग ध्‍यान का अभ्‍यास करते आए हैं। आज हम आपको विभिन्‍न प्रकार के ध्‍यान के बारे में बताने जा रहे हैं।

आजकल हर कोई तनाव में रहता है और सभी को ध्‍यान करने की जरूरत पड़ती है क्‍योंकि उन्‍हें लगता है कि इस तनावपूर्ण जीवन से ध्‍यान उन्‍हें आराम और सुकुन देता है।

आध्‍यात्‍मिक गुरुओं ने कई तरह के ध्‍यान यानि की मेडिटेशन का विकास किया है। मेडिटेशन करने का तरीका सही या गलत नहीं होता बल्कि इसमें बस एक ही चीज़ सबसे ज्‍यादा महत्‍व रखती है और वो ये है कि आपको ध्‍यान का कौन-सा प्रकार सूट करता है।

क्‍या है मेडिटेशन का फायदा

रिसर्च का कहना है कि ध्‍यान तनाव से राहत दिलाने वाले एक अस्‍थायी तरीके से कई ज्‍यादा है। ये मानसिक के साथ-साथ इमोशनल हैल्‍थ को भी दुरुस्‍त करती है।

मेडिटेशन से कई तरह के लक्षण और रोग जैसे कि हाई ब्‍लड प्रेशर, इरिटेबल बोवल सिंड्रोम, अनिद्रा, तनाव, सिरदर्द, ह्रदय रोग, डिप्रेशन, दर्द, अस्‍थमा, बेचैनी और कैंसर का ईलाज करता है।


कितनी बार ध्‍यान करना चाहिए

रोज़ दिन में एक या दो बार ध्‍यान कर सकते हैं।


ध्‍यान के प्रकार और आपके लिए क्‍या सही है ?

ध्‍यान से आप उसी पल में जीना सीखते हैं और भविष्‍य और अतीत की चिंताओं से मुक्‍त हो जाते हैं। इससे आप अपने दिमाग के विचारों पर ध्‍यान केंद्रिंत कर पाते हैं। ये एकाग्रता और जागरूकता का मेल है। ये मेडिटेशन बौद्ध शिक्षा और अध्‍ययन से शुरु हुई थी और रिसर्च में पाया गया कि सचेतन ध्‍यान से रिश्‍तों में संतुष्टि, क्रोध को कम करना, एकाग्रता को बढ़ाना और याद्दाश्‍त को मजबूत कर नकारात्‍मक भावनाओं को कम किया जा सकता है।


क्‍या आप कर सकते हैं

ध्‍यान शुरु करने के लिए ये प्रकार सबसे सही रहता है। अगर आपका ध्‍यान गहन परिवर्तन और आध्‍यात्मिक विकास पर है तो आपके लिए ये मेडिटेशन उपयुक्‍त है।


कैसे करें

कुशन या कुर्सी पर सीधे बैठ जाएं। अपनी सांसों पर ध्‍यान केंद्रित करें जैसे कि सांस अंदर लेना और बाहर छोड़ना।


लविंग और काइंडनेस मेडिटेशन

इस मेडिटेशन को मेट्टा मेडिटेशन के नाम से भी जाना जाता है जिसका मतलब है दयालुता, उदारता और सद्भावना होता है। गहराई से सांस लेने और दिमाग को खोलकर प्‍यार और दायलुता पाने को लविंग काइंडनेस मेडि‍टेशन की जाती है।

ध्‍यान करने का प्रमुख कारक है दूसरों के प्रति प्‍यार और दयालुता प्रकट करना।


क्‍या से आपके लिए है

अगर आपको हमेशा गुस्‍सा आता है चिड़चिडे रहते हैं या विवाद में उलझे रहते हैं तो आपको इस मेडिटेशन प्रक्रिया से लाभ होगा। ये आत्‍म और आत्‍म केंद्रित दोनों ही तरह से फायदेमंद होती है क्‍योंकि इससे आप खुश रहना सीखते हैं।

कैसे करें :

ध्‍यान की मुद्रा में बैठ जाएं और अपनी आंखें बंद कर लें। खुद के प्रति प्रेम व्‍यक्‍त करने की कल्‍पना करें और फिर धीरे-धीरे दूसरों के प्रति ऐसा महसूस करने का प्रयास करें।

मंत्र मेडिटेशन

मंत्र मेडिटेशन को ऊं मेडिटेशन भी कहा जाता है जोकि एक हिंदू मेडिटेशन टेक्निक है। ऊं एक पवित्र शब्‍द है जिससे दिमाग को शांति मिलती है। इस मंत्र का जाप करने से आपका दिमाग एकाग्र हो पाता है और आप अपने आसपास के वातावरण से मेल खा पाते हैं।

क्‍या ये आपके लिए है  


कई लोगों को ये मंत्र मेडिटेशन आसान लगता है क्‍योंकि इसमें आपको सांस पर ध्‍यान केंद्रित करने की बजाय मंत्र पर ध्‍यान लगाना होता है।

मेडिटेशन के प्रकार, जानिए कौनसी है ध्‍यान के ज़रिए इंसान अपने दिमाग को किसी विशेष वस्‍तु पर केंद्रित करके मानसिक और भावनात्‍मक शांति प्राप्‍त करता है। प्राचीन समय से ही दुनियाभर के लोग ध्‍यान का अभ्‍यास करते आए हैं। आज हम आपको विभिन्‍न प्रकार के ध्‍यान के बारे में बताने जा रहे हैं।

आजकल हर कोई तनाव में रहता है और सभी को ध्‍यान करने की जरूरत पड़ती है क्‍योंकि उन्‍हें लगता है कि इस तनावपूर्ण जीवन से ध्‍यान उन्‍हें आराम और सुकुन देता है।

आध्‍यात्‍मिक गुरुओं ने कई तरह के ध्‍यान यानि की मेडिटेशन का विकास किया है। मेडिटेशन करने का तरीका सही या गलत नहीं होता बल्कि इसमें बस एक ही चीज़ सबसे ज्‍यादा महत्‍व रखती है और वो ये है कि आपको ध्‍यान का कौन-सा प्रकार सूट करता है।

क्‍या है मेडिटेशन का फायदा

रिसर्च का कहना है कि ध्‍यान तनाव से राहत दिलाने वाले एक अस्‍थायी तरीके से कई ज्‍यादा है। ये मानसिक के साथ-साथ इमोशनल हैल्‍थ को भी दुरुस्‍त करती है।

मेडिटेशन से कई तरह के लक्षण और रोग जैसे कि हाई ब्‍लड प्रेशर, इरिटेबल बोवल सिंड्रोम, अनिद्रा, तनाव, सिरदर्द, ह्रदय रोग, डिप्रेशन, दर्द, अस्‍थमा, बेचैनी और कैंसर का ईलाज करता है।

कितनी बार ध्‍यान करना चाहिए

रोज़ दिन में एक या दो बार ध्‍यान कर सकते हैं।

ध्‍यान के प्रकार और आपके लिए क्‍या सही है ?

ध्‍यान से आप उसी पल में जीना सीखते हैं और भविष्‍य और अतीत की चिंताओं से मुक्‍त हो जाते हैं। इससे आप अपने दिमाग के विचारों पर ध्‍यान केंद्रिंत कर पाते हैं। ये एकाग्रता और जागरूकता का मेल है। ये मेडिटेशन बौद्ध शिक्षा और अध्‍ययन से शुरु हुई थी और रिसर्च में पाया गया कि सचेतन ध्‍यान से रिश्‍तों में संतुष्टि, क्रोध को कम करना, एकाग्रता को बढ़ाना और याद्दाश्‍त को मजबूत कर नकारात्‍मक भावनाओं को कम किया जा सकता है।

क्‍या आप कर सकते हैं

ध्‍यान शुरु करने के लिए ये प्रकार सबसे सही रहता है। अगर आपका ध्‍यान गहन परिवर्तन और आध्‍यात्मिक विकास पर है तो आपके लिए ये मेडिटेशन उपयुक्‍त है।

कैसे करें

कुशन या कुर्सी पर सीधे बैठ जाएं। अपनी सांसों पर ध्‍यान केंद्रित करें जैसे कि सांस अंदर लेना और बाहर छोड़ना।

लविंग और काइंडनेस मेडिटेशन

इस मेडिटेशन को मेट्टा मेडिटेशन के नाम से भी जाना जाता है जिसका मतलब है दयालुता, उदारता और सद्भावना होता है। गहराई से सांस लेने और दिमाग को खोलकर प्‍यार और दायलुता पाने को लविंग काइंडनेस मेडि‍टेशन की जाती है।

ध्‍यान करने का प्रमुख कारक है दूसरों के प्रति प्‍यार और दयालुता प्रकट करना।

क्‍या से आपके लिए है

अगर आपको हमेशा गुस्‍सा आता है चिड़चिडे रहते हैं या विवाद में उलझे रहते हैं तो आपको इस मेडिटेशन प्रक्रिया से लाभ होगा। ये आत्‍म और आत्‍म केंद्रित दोनों ही तरह से फायदेमंद होती है क्‍योंकि इससे आप खुश रहना सीखते हैं।

कैसे करें :

ध्‍यान की मुद्रा में बैठ जाएं और अपनी आंखें बंद कर लें। खुद के प्रति प्रेम व्‍यक्‍त करने की कल्‍पना करें और फिर धीरे-धीरे दूसरों के प्रति ऐसा महसूस करने का प्रयास करें।

मंत्र मेडिटेशन

मंत्र मेडिटेशन को ऊं मेडिटेशन भी कहा जाता है जोकि एक हिंदू मेडिटेशन टेक्निक है। ऊं एक पवित्र शब्‍द है जिससे दिमाग को शांति मिलती है। इस मंत्र का जाप करने से आपका दिमाग एकाग्र हो पाता है और आप अपने आसपास के वातावरण से मेल खा पाते हैं।

क्‍या ये आपके लिए है

कई लोगों को ये मंत्र मेडिटेशन आसान लगता है क्‍योंकि इसमें आपको सांस पर ध्‍यान केंद्रित करने की बजाय मंत्र पर ध्‍यान लगाना होता है।

कैसे करें :

स्‍पाइन को सीधा रखकर बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें। अब अपने मन में या ऊंचे स्‍वर में ऊं का उच्‍चारण करें।

ट्रांसडैंटल मेडिटेशन

ये मंत्र मेडिटेशन का विशेष रूप है और ये ध्‍यान के तरीकों में सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय है। वैज्ञानिकों ने भी इस मेडिटेशन के फायदों के बारे में बताया है। इससे ब्‍लड प्रेशर, तनाव और बेचैनी और ह्रदय रोग का खतरा एवं स्‍ट्रोक का खतरा कम होता है।। ये अनिद्रा को दूर कर दिमाग को तेज करती है और याद्दाश्‍त को बढ़ाती है।

क्‍या ये आपके लिए है

ये मेडिटेशन उन लोगों को सूट करती है जिन्‍हें सरंचना पसंद होती है और जो मेडिटेशन का अभ्‍यान करने के लिए गंभीर होते हैं।

कैसे करें

मेडिटेशन करने के लिए एक मंत्र या शब्‍द पर ध्‍यान केंद्रित करना होता है। एक शिक्षक उस वर्ष के आधार पर मंत्र निर्धारित करता है जिस पर चिकित्सक पैदा हुआ था या जिस वर्ष शिक्षक को प्रशिक्षित किया गया था। इसके बाद शिक्षक लोगों को अपना मंत्र चुनने के लिए कहते हैं और इसके बाद दिन में दो बाद 15-20 मिनट के लिए आंखें बंद करके इस मंत्र का उच्‍चारण किया जाता है।

एकाग्रता मेडिटेशन

इस मेडिटेशन में आपको पांच में से किसी भी सेंसिस पर ध्‍यान लगाना होता है जैसे कि सांस लेने या चलने की आवाज़ आदि।

क्‍या से आपके लिए है

शुरुआती अभ्‍यासकर्ताओं के लिए ये मेडिटेशन मुश्किल होता है लेकिन अगर आप अपनी जिंदगी में एकाग्रता की तलाश में हैं तो आपको ध्‍यान की ये क्रिया जरूर करनी चाहिए।

कैसे करें :

गहरी सांस लें और पेट को चौड़ा करें, कंधों को आराम दें और 6 तक गिनती करें। सांस छोड़ें और दोबारा दोहराएं। अब सामान्‍य तरह से सांस लें और सांस लेने पर ध्‍यान लगाएं।

कुंडलिनी योग

ये मेडिटेशन का सक्रिय रूप है जो कि दिमाग को सहारा देने से किया जा सकता है। असमें शरीर सांस, मंत्र, मुद्रा और एकाग्रता का इस्‍तेमाल करता है। कुंडलिनी योग शारीरिक शक्‍ति को बेहतर करता है, दर्द कम करता है, और मानसिक सेहत को बढ़ाता है।

कैसे करें

रीढ़ को सीधा और आलती-पालथी करके बैठ जाएं। आंखें बंद करें और अपने दोनों हाथों को प्रार्थना की मुद्रा में लाएं और अपनी पसंद के अनुसार मंत्र का उच्‍चारण करें।

जेन मेडिटेशन

इसे कभी-कभी जजेन के नाम से भी पुकारा जाता है। मेडिटेशन के इस रूप में कई स्‍टेप्‍स और पॉश्‍चर होते हैं। जेन मेडिटेशन में दो तरीके से ध्‍यान किया जाता है, एक सांस पर ध्‍यान केंद्रित करने से और एक बैठकर करने से। इसका लक्ष्‍य किसी के विचारों को समझना होता है और इससे आत्‍मविश्‍वास बढ़ता है और संचालन करने की क्षमता में वृद्धि होती है और क्रोध कम आता है।

क्‍या से आपके लिए है

अगर आपको सुकून और आध्‍यात्‍म के मार्ग पर चलना है तो आपको ये मेडिटेशन जरूर करना चाहिए।

कैसे करें

जमीन पर मैट बिछाकर उस पर लोटस पोजीशन में बैठ जाएं। इसमें सीटिड मेडिटेशन में ध्‍यान लगाना है।

मेडिटेशन के प्रकार से जुड़े तथ्‍य

हर प्रकार के मेडिटेशन के और भी उपप्रकार होते हैं।

आप एकसाथ कई प्रकार के मेडिटेशन को मिला भी सकते हैं।

किसी भी मुद्रा में ध्‍यान किया जा सकता है। इसका प्रमुख उद्देश्‍य आराम और सहज महसूस करवाना है